गन हाउस से हो रहे थे सारे फर्जीवाड़े, तंत्र है लिप्त असल में गोरखपुर में फर्जी लाइसेंस बनवाने में फर्जीवाड़े का यह खेल गन हाउस (Gun houses operating illegal arms selling and fake licensing) से संचालित हो रहे थे। शहर के विभिन्न गन हाउस में नवधनाढ्यों से मोटी रकम वसूल कर ये रैकेट फर्जी लाइसेंस तो बनवा ही देते थे साथ ही अवैध असलहे भी इनको थमाकर अपना कारोबार दिन दूनी रात चैगुनी कर रहे थे। पुलिस अभी तक एक दर्जन के आसपास असलहा की दुकानों पर छापेमारी कर चुकी है। एक गन हाउस के संचालत और उसके कर्मचारी को इस रैकेट का मुख्य मास्टर माइंड मान कर चल रही है। बीते दिनों पुलिस ने गन हाउस के कर्मचारी गोपी के घर पर छापा मारा था तो उसके घर में फर्जी लाइसेंस बनाने का ढेर सारा सामान बरामद हुआ था। उसके घर पर लाइसेंस की किताब, मजिस्ट्रेट की मुहर, कई रंग के पेन, और खूब सारी फाइलें बरामद हुई थी।
कर्मचारी जहां काम करता है गन हाउस के संचालक पड़े बीमार बताया जा रहा है कि अवैध लाइसेंस बनाने का भंड़ाफोड़ होने के बाद गन हाउसों पर ताबड़तोड़ छापेमारी और जांच पड़ताल शुरू हुई। उधर, पुलिस जिस गन हाउस के संचालक को इस रैकेट का मुख्य हिस्सा मान रही है वह फिलहाल पीजीआई में भर्ती बताए जा रहे हैं। हालांकि, पुलिस को सबसे बड़ी सफलता इस गन हाउस पर काम करने वाले कर्मचारी व इस रैकेट का सबसे अहम सदस्य गोपी के रूप में मिली है।
दो लोगों को किया जा चुका है गिरफ्तार, कई हिरासत में असलहे का फर्जी लाइसेंस बनाने के रैकेट के पर्दाफाश में डीएम के.विजयेंद्र पांडियान की देखरेख में प्रशासनिक व पुलिस अमला जुटा हुआ है। फर्जी लाइसेंस बनवाने के आरोप में पुलिस हुमायूंपुर के रहने वाले तनवीर को गिरफ्तार कर चुकी है। तनवीर 2010 में फर्जी तरीके से लाइसेंस बनवाए थे। इसी आरोप में पीपीगंज के रहने वाले प्रापर्टी डीलर विजय प्रताप की भी गिरफ्तारी हो चुकी है। तमाम लोग हिरासत में हैं जिनसे पूछताछ किया जा रहा है।